6 Entrepreneurial Skills । आंत्रप्रन्योर जो अपने स्किल्स पर करोडो के बिजनेस खड़ा करता है
नमस्कार दोस्तों, 6 Entrepreneurial Skills । आंत्रप्रन्योर जो अपने स्किल्स पर करोडो के बिजनेस खड़ा करता है। इस ब्लॉग में आपका स्वागत है।

क्या है आंत्रप्रन्योरशीप ?
आंत्रप्रन्योरशिप एक ऐसा स्किल है जो आज के जमाने में न सिर्फ बिजनेस के सक्सेस के लिए ज़रूरी है बल्कि सोसायटी के डेवलपमेंट में भी अहम भूमिका निभाता है। सीबीएसई (CBSE) के अनुसार, आंत्रप्रन्योरशिप वह प्रोसेस है जिसमें एक व्यक्ति खुद का बिज़नेस शुरू करता है, नये-नये विचारों को आज़माता है, जोखिम उठाता है और सोसायटी की ज़रूरतों को पूरा करते हुए मुनाफ़ा कमाने की कोशिश करता है।
इस ब्लॉग में हम CBSE की ऑफिशियल बुक्स के बेसिस पर Entrepreneurial Skills को di से समझेंगे – वह भी ऐसे सिंपल भाषा में कि कोई भी स्टूडेंट्स इसे आसानी से समझ सके। चलिए शुरू करते हैं!
आंत्रप्रन्योरशीप का मतलब क्या है?
Entrepreneurship = Self Employment
आंत्रप्रन्योरशिप का अर्थ है स्व-रोजगार, जहाँ व्यक्ति खुद के लिए काम करता है और खुद का व्यवसाय चलाता है। इसका उद्देश्य सिर्फ़ पैसे कमाना नहीं होता, बल्कि समाज की ज़रूरतों को समझना और उन्हें पूरा करना होता है। याने की एक आंत्रप्रन्योर खुदको डेवलप करते करते सबको साथ में डेवलप करता है।
इसमें दो प्रकार की एम्प्लॉयमेंट:
एक होती है Wage Employment मतलब पेमेंट पर डिपेंड होती है। याने की हम किसी और के लिए काम करते है। और दूसरा होता है Self Employment मतलब खुदके लिए काम करना। याने की खुद का बिजनेस जैसे एक चहा का खुदका स्टॉल और खुद ही सब मैनेज करना।
ऐसी क्या खास क्वालिटीज होती है सफल आंत्रप्रन्योर्स में ? (Key Qualities of Successful Entrepreneurs)
पहली बात तो उनको खुदपर बहुत आत्मविश्वास होता है। मतलब खुदमें एक कॉन्फिडेंस होता है। साथ में उनको उनके कपैसिटी पर भी भरोसा होता है। दूसरा उनमें एक नई सोच होती है। वो हर टाइम एक नया आयडिआज लाने और उसको अपनाने की हिम्मत रखते है। वो इनोवेटिव्ह होते है। अक्सर आंत्रप्रन्योर्स में एक बात हमेशा दिखती है वो है, पेशंस हां इनमे पेशंस बहुत होता है। और आपको तो मालूम है। की, सफलता धीरे-धीरे मिलती है, इसलिए धैर्य ज़रूरी है।
वो आंत्रप्रन्योर्स क्यों बन जाते है? आपको पता है? तो उनमे एक क्रिएटिविटी होती है। हर इ प्रॉब्लम को वो सबसे अलग ढंग से सॉल्व्ह करते है। ये उनकी एक कला होती है। और आंत्रप्रन्योर्स जो भी डिसीजन लेते है। वो उसकी जिम्मेदारी भी लेते है। वो कभी थकते नहीं। वो सिर्फ चलते रहते है। और आखरी बात ऐसी है की वो हर मुश्किलों का सामना तो करते ही करते है और उसका सोलुशन निकालते ही निकालते है। वो संकट में हार नहीं मानते।
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अगर आप आंत्रप्रन्योर के स्किल्स नहीं जानते तो इस वीडियो को जरूर देखे।
आंत्रप्रन्योर्स और सोसायटी (Entrepreneurship and Society)
CBSE की किताब में बताया गया है कि आंत्रप्रन्योर्स सोसायटी की ज़रूरतों को पूरा करने और उसकी ग्रोथ में कैसे मदद करती है। ये CBSE के बच्चो के लिए एक नोट्स की तरह भी है। इसका आप एग्जाम में यूज कर सकते है।
चलो आपको एक एक्जाम्पल के साथ समझाते है – रम्या vs रामू
- रामू: दुकान पर बैठा रहता है, बस कस्टमर्स का इंतजार करता है। उसको एक आशा होती है की कस्टमर हमारे दूकान में आएगा।
- रम्या: कस्टमर्स को खुद अप्रोच करती है, नए प्रोडक्ट्स जैसे सीड्स और फ्लावर्स भी बेचती है। याने की खुद ग्राउंड लेव्हल पर काम करता है और रिस्क लेता है।
तो आप इस एग्जाम्पल से क्या सीखे ?
रम्या एक उद्यमी (Entrepreneur) है जबकि रामू सिर्फ़ एक व्यापारी (Businessman) है। ये फर्क आपको समझ में आना चाहिए।
आंत्रप्रन्योर्स कहाँ काम करते हैं? (Where Do Entrepreneurs Work?)
आंत्रप्रन्योर्स अपना बिजनेस बाजार (Market) में करते हैं। मार्केट वह जगह है जहाँ खरीदनेवाला और सेल करनेवाला एक साथ मिलते हैं। याने की वो ग्राउंड लेव्हल पर काम करते है।
इस मार्केट के फ़ायदे क्या है? :
यहाँ जो प्रोडक्ट सेल करता है उसको प्रॉफिट मिलता है। और कस्टमर्स को भी उनकी जिन चीजों की जरुरत होती है। वो मिल जाती है। और जिस एरिया में ये सब हो रहा है वहां की डेवलपमेंट भी होती है। ये बात आंत्रप्रन्योर्स और बायर के लिए साथ-साथ उस एरिया के लिए भी बड़ी और अच्छी बात है।
आंत्रप्रन्योर्स का सोसायटी के लिए कंट्रीब्यूशन (Contribution of Entrepreneurs in Society)
आंत्रप्रन्योर्स की एक बात सबसे बड़ी होती है। और वो यह है की वो खुद जॉब क्रिएशन करते है। जब आंत्रप्रन्योर्स अपना बिजनेस बढ़ाते है तब उन्हें काम में मदद के लिए और लोगों की ज़रूरत होती है। और इससे नए-नए जॉब पैदा करते है। याने की वो एक जॉब क्रिएटर्स होते है।
उदाहरण: अदिति ने शैम्पू बेचने वाला स्टोर खोला, उसने दो लोगों को नौकरी पर रखा और एक महिला से थोक में सामान खरीदा।
दूसरी बात तो वो कस्टमर्स की जरुरत पूरा करना जानते है।
याने की वो मार्केट में खुद रिसर्च करते है। की लोगों को किस चीज की जरुरत है। मतलब वो रिसर्च करते है फिर उस हिसाब से प्रोडक्ट तैयार करते है या फिर सर्व्हिस देते है। उनका सब लॉजिकल होता है।
तीसरी बात जो उनमें होती है वो ये है की वो लोकल रिसोर्सेस का यूज करते है। क्यूंकि उसमें इंवेस्टमेंट्स कम लगती है। और लोकल का जो व्यापार है वो भी बढ़ जाता है।
चौथी सबसे बाड़ी बात ये है की वो सोसायटी की मदद करते है। आपने आज तक देखा होगा की बहुत से सारे ऐसे आंत्रप्रन्योर्स है जिन्होंने सोसायटी को दान दिया है। और आज भी देते है। स्कुल खोलते है लोगों की मदद करते है। जॉब क्रिएट्स करते है। वो एक हेल्पिंग हैंड होते है। (Helping the Society) . जैसे-जैसे बिज़नेस बढ़ता है, उससे जुड़े बाकी लोग भी आर्थिक रूप से मजबूत होते हैं।
और जैसे-जैसे मार्केट में कॉम्पिटिटर्स बढ़ते है, प्रोडक्ट्स की कीमतें घटती हैं और कस्टमर्स को सस्ते ऑप्शंस मिलते हैं। (Lower Product Prices)
आंत्रप्रन्योरशिप के क्या-क्या फ़ायदे होते है ? (Benefits of Entrepreneurship)
बेनिफिट | डिस्रकिप्शन |
---|---|
✅ आत्मनिर्भरता | खुद के पैरों पर खड़ा होना |
✅ नवाचार (Innovation) | नये प्रोडक्ट्स और सर्विसेज लाना |
✅ आर्थिक स्वतंत्रता | पैसे के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना |
✅ समाज सेवा | लोगों को रोजगार और सेवा देना |
✅ नेतृत्व कौशल | टीम को लीड करना और मोटिवेट करना |

इससे आप क्या सीखे ? (Conclusion)
Entrepreneurship न सिर्फ एक करियर ऑप्शन है, बल्कि यह एक मेन्टलिटी है। यह सोचने का तरीका है कि कैसे मैं लोगों की मदद कर सकता हूं, खुद का विकास कर सकता हूं, और अपने देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकता हूं।
अगर आप CBSE के छात्र हैं और Class 9, 10, 11 या 12 में Entrepreneurship Skills पढ़ रहे हैं, तो ये लेख आपके लिए बेहद उपयोगी साबित होगा।
FAQs: आंत्रप्रन्योरशिप स्किल्स से रिलेटेड सामान्य प्रश्न
Q1. आंत्रप्रन्योर कौन होता है?
Ans: जो व्यक्ति खुद का बिजनेस शुरू करता है और नई सोच के साथ लोगों की ज़रूरतों को पूरा करता है, वही आंत्रप्रन्योर कहलाता है।
Q2. बिजनेसमैन और आंत्रप्रन्योर में क्या अंतर है?
Ans: बिजनेसमैन परंपरागत तरीके से काम करता है, जबकि उद्यमी नवाचार (Innovation) और जोखिम उठाकर कुछ नया करता है।
Q3. आंत्रप्रन्योरशिप स्टूडेंट्स के लिए क्यों ज़रूरी है?
Ans: यह कौशल उन्हें आत्मनिर्भर बनाता है, प्रोब्लेम्स का सोलुशन निकालना सिखाता है और फ्यूचर में खुद का स्टार्टअप शुरू करने के लिए तैयार करता है।
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