Entrepreneur VS Businessman। Quality 1 Difference । सोच, स्टाइल और सफलता में क्या है अंतर?
नमस्कार दोस्तों, Entrepreneur VS Businessman । सोच, स्टाइल और सफलता में क्या है अंतर? इस ब्लॉग में आपका स्वागत है।
आज के जमाने में सबको एक बड़ा बिजनेसमैन बनना है या फिर एक अच्छा एंटरप्रेन्योर बनना है। कुछ लोग बिजनेस शुरू करते हैं और खुद को बिजनेसमैन कहते हैं, वहीं कुछ लोग नया सोचकर, नया बनाकर, नई राहों पर चलकर खुद को एंटरप्रेन्योर बनाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बिजनेसमैन और एंटरप्रेन्योर में फर्क क्या होता है? अगर आपको नहीं पता है तो, Entrepreneur VS Businessman । सोच, स्टाइल और सफलता में क्या है अंतर? इस ब्लॉग आर्टिकल को जरूर पढ़िए।
माइंडसेट का अंतर
सबसे पहला और सबसे बड़ा फर्क इनके सोचने के तरीके यानी माइंडसेट का होता है। ऐसा क्या सोचते है ये लोग ? चलो देखते है।
बिजनेसमैन का माइंडसेट
- वह एक सेट बिजनेस मॉडल को फॉलो करता है। याने की वो एक चीज को बेचकर उससे ज्यादा नफ़ा कमाता है।
- जो चीज़ पहले से चल रही है, उसी को चलाता रहता है। उसमें कुछ अलग नहीं करता।
- उसका मकसद होता है प्रॉफिट कमाना, और वो उसी में खुश रहता है। बस्स
- और वो जो चीजे अवेलेबल है उनी चीजों को वो ऑब्जर्व करता है और मार्किट में ज्यादा में बेचता है। एक बिजनेसमैन में एक रिसर्च माइंडसेट होता है।

एंटरप्रेन्योर का माइंडसेट
- वह हमेशा कुछ नया सोचता है। उसमें एक अलग सोच होती है। वो एक यूनिक थिंकर होता है।
- उसका मकसद होता है इनोवेशन करना, नई चीजें बनाना, समाज की समस्याओं का हल निकालना। उसका भी एक रिसर्च माइंडसेट होता है।
- वह इतिहास रचने में यकीन रखता है। याने की उसके गोल बहुत बड़े होते है।
उदाहरण की तौर पर देखते है
बिजनेसमैन कहेगा – “मुझे एक चलती हुई दुकान चाहिए।”
एंटरप्रेन्योर कहेगा – “मुझे एक ऐसा आइडिया चाहिए जो आज तक किसी ने ना सोचा हो।”
ये सबसे बड़ा फरक है इन दोनों में। बिजनेसमैन लॉन्ग टर्म गोल के साथ नहीं चलते । और
एंटरप्रेन्योर लॉन्ग टर्म गोल के साथ चलते है।
इनोवेशन और बदलाव की सोच
बिजनेसमैन
- बदलाव से डरता है। थोड़ा बहुत डर होता है।
- रिस्क लेने से बचता है। वो रिस्कटेकर नहीं होता है।
- पुरानी मेथड्स और तरीकों में काम करता है। वो इनोवेशन के साथ चलता नहीं है।
एंटरप्रेन्योर
- हर दिन कुछ नया सोचता है। वो इनोवेटर होता है। और वो रिस्कटेकर होता है।
- नई-नई टेक्नोलॉजी, नई सर्विसेस, और नए प्रोडक्ट्स लाने की कोशिश करता है। यहाँ उसका रिसर्च मांईडसेट समझता है।
- वह अपने आइडिया से लोगों की ज़िंदगी आसान बनाना चाहता है। और वो हजारो लोगों को जॉब दे सकता है।
एंटरप्रेन्योर का जोश किसी और लेवल का होता है।
मंडे-संडे वाला नजरिया
बिजनेसमैन के लिए मंडे मतलब काम और संडे मतलब आराम। वहीं एंटरप्रेन्योर के लिए हर दिन बराबर होता है। याने की वो टाइम की वैल्यू करता है। उसको सिर्फ अपने काम पर प्यार होता है। वो बिजनेसमैन की कम्पैरिजन में ज्यादा अलग होता है।
बिजनेसमैन
- बिजनेसमैन ज्यादा सोचता नहीं। वो आराम से और चील रहकर सबकुछ चलाता है।
- उसका दिमाग उसी रूटीन में चलता है – “संडे मतलब छुट्टी।” इसलिए वो लिमिटेड ही नफ़ा कमाता है।
एंटरप्रेन्योर
- उसके लिए कोई वीकेंड नहीं होता। उसका हर दिन सेम होता है।
- उसे हर दिन एक नया मौका लगता है। उसका नजरिया ही अलग होता है।
- वह संडे को भी ब्रेनस्टॉर्म करता है, प्लानिंग करता है। इसलिए वो आगे जाकर बड़े बनते है।
उसका माइंड हर दिन दुनिया जीतने के लिए तैयार होता है।
अगर आपको पता ही नहीं है की, एंटरप्रेन्योर और बिजनेसमैन में क्या फर्क होता है ? तो इस वीडियो को देखे।
ब्रेक का नजरिया: कॉफी ब्रेक VS ब्रेनस्टॉर्म ब्रेक
बिजनेसमैन
- उसके लिए ब्रेक मतलब आराम। वो आराम कैसे मिलेगा ये सोचता है।
- एक फैंसी कॉफी मशीन हो, एक ब्रांडेड मग हो – बस वही चाहिए। जो की उसके लिए धोका है।
एंटरप्रेन्योर
- उसके ब्रेक में भी क्रिएटिविटी होती है। वो ब्रेक का मतलब एक चांस मानता है।
- वह एनर्जी ड्रिंक लेकर ब्रेन स्टॉर्म करता है – “अब क्या नया करें?” यही समझता है की वो एक लॉन्ग टर्म सोचनेवाला होता है।
कॉफी ब्रेक और ब्रेनस्टॉर्म ब्रेक में फर्क होता है – एक आराम के लिए, दूसरा क्रिएटिव सॉल्यूशन के लिए।
ऑफिस का कॉन्सेप्ट
बिजनेसमैन
- उसका ऑफिस तय होता है – एक जगह, एक बिल्डिंग, एक सेटअप। ऑफिस में बैठ के सबकुछ मैनेज करता है।
एंटरप्रेन्योर
- उसका ऑफिस कहीं भी हो सकता है – कैफे, पार्क, वर्किंग स्पेस या यहां तक कि पेड़ के नीचे भी। मतलब जहाँ जाओ वहां से वर्क करता है।
- उसका फोकस जगह पर नहीं, काम पर होता है। और जिसकी प्रायोरिटी काम होता है वो बड़े आगे जाके बड़े बनते है।

धंधा बताओ, लोकेशन बाद में देखेंगे।
काम का समय: 9 से 5 VS 24×7
बिजनेसमैन
- दिन में काम करता है, रात को आराम करता है।
- उसका शेड्यूल फिक्स होता है।
एंटरप्रेन्योर:
- जब तक आइडिया पूरा न हो, तब तक उसे नींद नहीं आती।
- वह रात भर काम कर सकता है – सिर्फ एक आइडिया के पीछे।
उदाहरण
बिल गेट्स की सेक्रेटरी ने बताया था कि वे अक्सर अपने ऑफिस में सुबह तक सोते हुए मिलते थे – क्योंकि वे पूरी रात काम करते थे।
रिस्क लेने की क्षमता
बिजनेसमैन
- रिस्क से बचता है।
- वह चाहता है कि पैसा आए, लेकिन अपने जेब से न जाए।
एंटरप्रेन्योर
- रिस्क लेने में उसे मजा आता है।
- वह रिस्क को गेम की तरह लेता है – “चलो देखते हैं क्या होता है।”
“रिस्क है तो इश्क है” – एंटरप्रेन्योर का यही फंडा होता है।
सिस्टम VS लाल सिस्टम
बिजनेसमैन
- वह पुराने तरीके अपनाता है।
- टेक्नोलॉजी को लेकर बहुत उत्साहित नहीं होता।
एंटरप्रेन्योर
- टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके अपने काम को आसान बनाता है।
- वह चाहता है कि कम से कम लोग हों और ज्यादा से ज्यादा काम हो।
सिस्टम से काम – यही एंटरप्रेन्योर का मंत्र है।
खर्च और प्रॉफिट को लेकर नजरिया
बिजनेसमैन
- उसका फोकस प्रॉफिट पर होता है।
- वह हर खर्च का पूरा हिसाब रखता है।
एंटरप्रेन्योर
- वह सेल्स पर ध्यान देता है।
- उसके लिए सबसे जरूरी है – “मेरा प्रोडक्ट बिके।”
प्रॉफिट बाद में आता है, पहले मार्केट को जीतना है – यही उसका नजरिया होता है।
पहनावे और एटीट्यूड में फर्क
बिजनेसमैन
- हमेशा फॉर्मल ड्रेस में मिलेगा – सूट, टाई, पॉलिश शूज़।
- हाथ में होगा ब्रांडेड विज़िटिंग कार्ड।
एंटरप्रेन्योर
- टीशर्ट, जींस, कैप – जितना कैजुअल, उतना पावरफुल।
- अगर विज़िटिंग कार्ड न भी हो, तो नैपकिन पर नंबर लिख देगा।
वह अपने आइडिया के दम पर पहचान बनाता है, कार्ड से नहीं।
इससे आप क्या सीखेंगे ? (Conclusion)
तो दोस्तों, अब आप समझ ही गए होंगे कि बिजनेसमैन और एंटरप्रेन्योर में क्या अंतर होता है।
जहां एक तरफ बिजनेसमैन पुराने रास्तों पर चलता है, वहीं एंटरप्रेन्योर नई राह बनाता है।
पॉइंट | बिजनेसमैन | एंटरप्रेन्योर |
---|---|---|
माइंडसेट | प्रॉफिट कमाना | इनोवेशन करना |
सोच | पुरानी राह | नई राह |
काम का तरीका | फिक्स शेड्यूल | कभी भी, कहीं भी |
रिस्क | कम से कम | ज्यादा से ज्यादा |
ब्रेक | कॉफी ब्रेक | ब्रेनस्टॉर्म ब्रेक |
ऑफिस | तय जगह | कहीं भी |
टेक्नोलॉजी | कम उपयोग | फुल उपयोग |
पहनावा | फॉर्मल | कैजुअल |
उद्देश्य | पैसा कमाना | बदलाव लाना |
जोश | सीमित | अग्नि जैसा |
Bonus Tip:
अगर आप भी अपने बिजनेस को अगले लेवल पर लेकर जाना चाहते हैं –
✅ ऑटोमेशन सीखिए
✅ टेक्नोलॉजी को अपनाइए
✅ सेल्स और मार्केटिंग पर फोकस कीजिए
✅ और सबसे जरूरी – रिस्क लेने से मत डरिए!
अगर आप 2025 में लाखो कमाना चाहते हो? तो इस आर्टिकल देखे।