ZOHO Business | गांव में रहकर करोड़ की कंपनी बनाने वाले श्रीधर वेम्बु की प्रेरणादायक कहानी |

Quality No 1 ZOHO Business | गांव में रहकर करोड़ की कंपनी बनाने वाले श्रीधर वेम्बु की प्रेरणादायक कहानी |

नमस्कार दोस्तों , Quality No 1 ZOHO Business | गांव में रहकर करोड़ की कंपनी बनाने वाले श्रीधर वेम्बु की प्रेरणादायक कहानी | इस ब्लॉग में आपका स्वागत है |

Quality No 1 ZOHO Business | गांव में रहकर करोड़ की कंपनी बनाने वाले श्रीधर वेम्बु की प्रेरणादायक कहानी |
Quality No 1 ZOHO Business | गांव में रहकर करोड़ की कंपनी बनाने वाले श्रीधर वेम्बु की प्रेरणादायक कहानी |

ZOHO—कया आपने जोहो बिज़नेस कंपनी का नाम सुना है ? | ये एक ऐसा नाम जिसने दुनिया भर में भारतीय बिजनेस जगत में डंका बजा दिया। यह कंपनी न केवल अपनी प्रॉफिटेबिलिटी के लिए ही बल्कि अपने खास ऑपरेटिंग मॉडल और श्रीधर वेम्बु की अनोखी सोच के लिए जानी जाती है। शायद आपको यकीन नहीं होंगा यह कहानी सिर्फ एक कंपनी की नहीं, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति की है जिसने गांव में रहते हुए, सादगी और लगन के साथ सफलता का इतिहास लिखा। आइए जानते हैं कि ZOHO कैसे बना भारत का सबसे प्रॉफिटेबल स्टार्टअप और श्रीधर वेम्बु की इस सफलता के पीछे की सोचऔर स्ट्रगल |

कैसे हुई ZOHO की शुरुआत?

तमिलनाडु के एक छोटे से गांव में श्रीधर वेम्बु का जन्म हुआ। पहले तो उनका सब परिवार खेती करता था | लेकिन बाद में हुआ ऐसा की उनके पिता चेन्नई शिफ्ट हुए और हाईकोर्ट में स्टेनोग्राफर बने। श्रीधर ने अपनी पढ़ाई IIT मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में की और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से PhD हासिल की।

उस दौरान उनको एक बात का पता चला के, वहां जो सिलेबस था उससे वो सैटिस्फाइड नहीं थे | हर वक्त उनका मन उनको एक ही बात कहता था की कुछ बड़ा करना है | प्रिंसटन में शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने अमेरिका में नौकरी की, जहां उन्होंने खुद सीखने और सॉफ्टवेयर विकसित करने का हुनर प्राप्त किया।

1996 में, उनके भाई के साथ, उन्होंने एक कंपनी शुरू की उस कंपनी का नाम “AdventNet” रखा। शुरुआत में वो सिर्फ हार्डवेयर डिवाइस बनाते थे | लेकिन उनके पास फंड की कमी थी इसलिए उन्होंने सॉफ्टवेयर की ओर अपना रुख रखा

क्या आपको पता है AdventNet की शुरुआत चेन्नई के एक छोटे कमरे से हुई, और वहां उस रूम में सिर्फ दो कंप्यूटर और लिमिटेड ही इंस्ट्रूमेंट्स थे। शुरुआती दिनों में, उन्हें बिजनेस स्किल की कमी का सामना करना पड़ा। एक क्लाइंट से डील के बाद उन्होंने महसूस किया कि उन्हें मार्केटिंग और सेल्स में सुधार करना होगा।

श्रीधर ने सेल्स स्किल सीखने के लिए दो साल तक एक विशेषज्ञ के साथ काम किया और बहुत मेहनत की और धीरे-धीरे अपनी टीम को मजबूत बनाया। उन्होंने फाइनेंस, मैनेजमेंट और टेक्निकल ऑपरेशंस के लिए स्पेशल तद्य लोगों को हायर किए, जिससे कंपनी को विस्तार करने में मदद मिली। और कंपनी की ग्रोथ बढ़ने लगी |

1998 में, ZOHO को जापान से पहला बड़ा ब्रेकथ्रू मिला। उन्होंने HP जैसे बड़े ब्रांड्स के मुकाबले सस्ते सॉफ्टवेयर बनाए और जापानी बाजार में जगह बनाई। उन्होंने जापान को अपना मार्केट बनाया ये उनका सबसे अच्छा डिसीजन बना |

ZOHO सक्सेस क्यों हुआ ? सफलता के 5 कारण

  1. कम से कम कीमत मॉडल: ZOHO ने “जियो आर्बिट्राज” का उपयोग किया। उन्होंने भारत में सस्ती लेबर और संसाधनों का फायदा उठाया और उन्होंने अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धीयों को कीमतों पर सॉफ्टवेयर बेचा।
  2. डायरेक्ट सेल्स और नो मार्केटिंग: श्रीधर ने एक दिमाग लगाया और बड़े-बड़े विज्ञापनों और मार्केटिंग पर खर्च किया नहीं उसकी जगह श्रीधर ने, अपने प्रोडक्ट और की क्वालिटी और कस्टमर्स के सटिस्फिकेशन पर फोकस केंद्रित किया।
  3. फ्री ट्रायल मॉडल: उन्होंने कस्टमर्स को फ्री में सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करने दिया। जब कस्टमर्स को इसका महत्व समझ आया, तो उन्होंने इसे खरीदना शुरू किया।
  4. इन-हाउस R&D: वो 2000 के डॉट-कॉम बबल के समय, जब ज्याद से ज्यादा कंपनियां नुकसान में थीं, पर ZOHO ने रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर ध्यान दिया। उन्होंने “ManageEngine” और “ZOHO Suite” जैसे प्रोडक्ट्स विकसित किए। ये उनका ट्रिगर पॉइंट साबित हुआ |
  5. स्वतंत्रता और लोन-मुक्त नीति: ZOHO ने कभी इन्वेस्टर्स का सहारा नहीं लिया। श्रीधर का मानना है कि बिजनेस में डेट ज़ीरो होना चाहिए और कैश रिजर्व हमेशा मजबूत रहना चाहिए। ये उनकी दूरदृष्टि थी |

Quality No 1 ZOHO Business | गांव में रहकर करोड़ की कंपनी बनाने वाले श्रीधर वेम्बु की प्रेरणादायक कहानी | इसके बारे में अधिक जानने के लिए ये वीडियो देखो |

ZOHO बिजनेस की वैश्विक मंच पर भारतीय प्रतिभा

क्या आपको पता है, आज ZOHO 180 से अधिक देशों में अपनी सर्व्हिस देता है, और इसके 6 करोड़ से अधिक कस्टमर्स हैं, और 11,000 से ज्यादा एम्प्लॉई काम करते हैं। यह कंपनी छोटे और बड़े बिजनेसेस को क्लाउड-बेस्ड सॉफ्टवेयर सॉल्यूशंस प्रदान करती है। ZOHO के कस्टमर्स Fortune 500 की 300 कंपनियां हैं। और ये गर्व वाली बात है |

श्रीधर वेम्बु का दृष्टिकोण

श्रीधर का मानना है कि सफलता सादगी में है। वह आज भी अपने गांव में रहते हैं, लुंगी पहनते हैं, साइकिल चलाते हैं, और स्थानीय युवाओं को रोजगार देते हैं। उनकी सोच है कि व्यवसाय को समाज और देश की सेवा के रूप में देखा जाना चाहिए। इसलिए खुदको सादगी में रहने की आदत लगाओ |

ZOHO इतना खास क्यों है?

  1. अपने देश के टैलेंट पर भरोसा: ZOHO भारतीय इंजीनियरों और विशेषज्ञों पर निर्भर है। ये गर्व करने वाली बात है |
  2. ग्रामीण विकास में योगदान: श्रीधर ने ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें रोजगार के अवसर दिए।
  3. पदमश्री से सम्मानित: श्रीधर को उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

इससे आप क्या सिख सकते हो ?

ZOHO बिजनेस की कहानी हमें सिखाती है कि अगर आपके पास जुनून, धैर्य और दूरदर्शी सोच से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। श्रीधर वेम्बु न केवल युवाओं के लिए ही इंस्पिरेशन नहीं हैं, बल्कि उनकी कंपनी ZOHO भारतीय स्टार्टअप्स के लिए एक आदर्श है।

इस कहानी से आप यह जरूर सीख सकते हैं कि संसाधनों की कमी के बावजूद भी एक बड़ा और लाभकारी व्यवसाय खड़ा किया जा सकता है।

Quality No 1 ZOHO Business | गांव में रहकर करोड़ की कंपनी बनाने वाले श्रीधर वेम्बु की प्रेरणादायक कहानी |
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“बिजनेस स्किल सीखें, खुद पर भरोसा रखें, और कभी हार न मानें। यही ZOHO की सफलता का राज है।”

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